गुणधर्म – यह वात, कफ के कारण होने वाले कास और वातजनक श्वास एवं हिक्का में बहुत गुणकारी है। जुकाम में होने वाले स्वरभेद (गला बैठना) में तो यह बड़ा ही लाभप्रद है। मस्तक शूल भी यदि उपयुक्त दोषों से सम्बंधित हो तो यह रस अच्छा काम करता है। शीतल वायु जमीन पर सोना, कफकारक भोजन आदि से कभी-कभी श्वास वेग बढ़ जाता है। उस समय इसके प्रयोग से अच्छा लाभ होता है
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